Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः । छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः ॥२५ ॥

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