Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

श्रीभगवानुवाच — कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् । अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन ॥२ ॥

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