Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः । यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः ॥१७ ॥

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