Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च । क्षरः सर्वाणि भूतानि कूटस्थोऽक्षर उच्यते ॥१६ ॥

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