Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः । निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम् ॥५ ॥

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