Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

अनादित्वान्निर्गुणत्वात्परमात्मायमव्ययः । शरीरस्थोऽपि कौन्तेय न करोति न लिप्यते ॥३२ ॥

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