Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

प्रकृतिं पुरुषं चैव विद्ध्यनादी उभावपि । विकारांश्च गुणांश्चैव विद्धि प्रकृतिसम्भवान् ॥२० ॥

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