Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

श्रीभगवानुवाच — मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते । श्रद्धया परयोपेताः ते मे युक्ततमा मताः ॥२ ॥

व्याकरण विश्लेषण
व्याकरण विश्लेषण अभी उपलब्ध नहीं है
श्रीशाङ्करभाष्य
भाष्य अभी उपलब्ध नहीं है