Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति । कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति ॥३१ ॥

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