Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

अपरेयमितस्त्वन्यां प्रकृतिं विद्धि मे पराम् । जीवभूतां महाबाहो ययेदं धार्यते जगत् ॥५ ॥

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