Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत । सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप ॥२७ ॥

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