Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

श्रीभगवानुवाच — पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते । न हि कल्याणकृत्कश्चिद् दुर्गतिं तात गच्छति ॥४० ॥

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