Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

यदा हि नेन्द्रियार्थेषु न कर्मस्वनुषज्जते । सर्वसङ्कल्पसंन्यासी योगारूढस्तदोच्यते ॥४ ॥

व्याकरण विश्लेषण
व्याकरण विश्लेषण अभी उपलब्ध नहीं है
श्रीशाङ्करभाष्य
भाष्य अभी उपलब्ध नहीं है