Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

प्रशान्तमनसं ह्येनं योगिनं सुखमुत्तमम् । उपैति शान्तरजसं ब्रह्मभूतमकल्मषम् ॥२७ ॥

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