Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नतः । न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ॥१६ ॥

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