Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः । शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम् ॥२१ ॥

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