Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

स्वभावजेन कौन्तेय निबद्धः स्वेन कर्मणा । कर्तुं नेच्छसि यन्मोहात्करिष्यस्यवशोऽपि तत् ॥६० ॥

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