Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि । अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि ॥५८ ॥

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