Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

बुद्धेर्भेदं धृतेश्चैव गुणतस्त्रिविधं श‍ृणु । प्रोच्यमानमशेषेण पृथक्त्वेन धनञ्जय ॥२९ ॥

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