Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

मनः प्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः । भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते ॥१६ ॥

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