Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः । प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत ॥१४ ॥

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