Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

दंष्ट्राकरालानि च ते मुखानि दृष्ट्वैव कालानलसन्निभानि । दिशो न जाने न लभे च शर्म प्रसीद देवेश जगन्निवास ॥२५ ॥

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