Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

अनादिमध्यान्तमनन्तवीर्य- मनन्तबाहुं शशिसूर्यनेत्रम् । पश्यामि त्वां दीप्तहुताशवक्त्रं स्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम् ॥१९ ॥

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