Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

निहत्य धार्तराष्ट्रान्नः का प्रीतिः स्याज्जनार्दन । पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः ॥३६ ॥

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