Verse Display - श्रीमद्भगवद्गीता
श्लोक

श्वशुरान्सुहृदश्चैवसेनयोरुभयोरपि । तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान् ॥२७ ॥

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